कडोंमनपा आयुक्त डॉक्टर विजय सूर्यवंशी की लापरवाह प्रभाग अधिकारियों पर निलंबन की कारवाई।
फ, प्रभाग के दीपक शिंदे, क प्रभाग के भारत पवार और पथक प्रमुख गणेश माने, निलंबित* स्काई वाक पर अतिक्रमण विरोधी कारवाई मे लापरवाही बरती।
कडोंमनपा मे आय ए एस अधिकारियों के काम का अंदाज़ ऐसा ही रहा।
एक संक्षिप्त रिपोर्ट
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कल्याण-डोंबिवली महानगर पालिका मे आय.ए.एस.आयुक्त
ई रविन्द्रन से डॉ. विजय सूर्यवंशी तक
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*ओमकार मणि* । कल्याण-डोंबिवली महानगर पालिका के आयुक्त पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के रुतबे ऐसा भी दौर था कि कमिश्नर की उंगली उठने तक से बड़े बड़े सेठ बिल्डरों की रूह कांप जाती थी।आज २० लाख की योजनाबद्ध बस रहे शहर मे मनपा के बड़े बड़े करोड़ो रूपये कर बकायेदार कर अदायगी नही कर रहे हैं।मनपा राजस्व वसूली तक नही कर पा रही है। *कभी वो दौर भी था कृशकाय यूपीएस मदान मनपा के जिस क्षेत्र में दिख जाते थे कर बकायेदार डर के मारे सो तक नही पाते थे*। आय ए एस *टी चन्द्रशेखर के समय तो मनपा मे गुंडा ठेकेदारों को होटल तक में ढूंढ़ कर भगाने का काम खुद टी चन्द्रशेखर द्वारा किया जाता रहा*।यहाँ के *आयुक्त शिवलिंग भोसले जैसे आय ए एस अधिकारी की ठसक ऐसी भी रही की राज्यमंत्री जैसे ओहदेदार शहर के अभियंताओं को अपने चेंबर मे बुलाने जुर्रत नही कर पाते थे*।जिन्होने शहर मे आय ए एस अधिकारियों के ऐसे दौर और विश्वसनीयता देखी है वैसे लोगों ने शहर में
आय ए एस अधिकारी के लिए आंदोलन तक कर डाले।वर्ष२००२ मे श्रीकांत सिंह आखिरी आय ए एस अधिकारी थे,जिनकी केबिन मे पार्षद जाने तक से परहेज करते थे।
नागरिकों के भाग्य से कल्याण मे दो दो आय ए एस,आयुक्त के पद पर आये, जिसमें नौजवान होनहार ई. रविन्द्रन, और तजुर्बेकार पी. बेलारासू, आये तो सही मगर इस शहर को, 'नागरिकों को मूलभूत सेवा' मुहैया करवाने वाला शहर बनाने में नाकाम हो शिकस्त ही खाकर गये।
हाँ दोनों ने शहर पर अपनी एक अलग छाप छोड़ी है।कडोंमनपा मुख्यालय से फर्लांग भर पर शिवाजी चौक से लेकर मोहम्मद अली चौक के बीच की व्यवसायिक इमारतों की मंजिलों पर युद्ध के विध्वंस की डरावनी अनुभूति करातीं और *कभी भी ढह जाने के खतरेवाली डरावने टूटे छज्जे के हिस्से, आयुक्त आय ए एस, ई रविन्द्रन की हीउपलब्धि हैं*।और पी बेलारासु के तो कार्यालय में ही सत्ताधारी शिवसेना ने आयुक्त हाय हाय का नारा लगाकर कुर्सियां फेकी थीं।अब डॉ. विजय सूर्यवंशी शहर वासियों के लिए नयी आशाएं लेकर आये हैं।
पदभार ग्रहण करने के १५मिनट बाद डॉक्टर सूर्यवंशी ने शहर की समस्याओं पर,विकास परियोजनाओं पर, और स्मार्ट सिटी के बारे मे पत्रकार परिषद मे उल्लेख करके स्पस्ट कर दिया कि इन समस्याओं से वाकिफ हैं।
*इसके बावजूद एक शर्मनाक सच यह भी है कि पिछले १०वर्षों में केन्द्र सरकार की नजरों में कडोंमनपा के आयुक्तों की विश्वसनीयता घटती गई है* ।इसे पुन: प्रतिष्ठा दिलाना भी महत्वपूर्ण उपलब्धि शहर के लिए होगी। *वर्ष२००५-२००६ के बाद मनपा का कोई भी आयुक्त शहर के विकास के लिए निधि मंजूर नही करवा पाया* ।हास्यास्पद बात ये भी रही कि *बजट बनाने मंजूर कराने के बावजूद वित्तीय मामलों मे आयुक्त के खुद के पेश किए गये वित्तीय उपलब्धि ( *कुल जमा राजस्व* ) *से २से ३सौ करोड़ रूपये तक कम होने का फर्क होता आया है।कांग्रेस नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार की 'जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय नागरी पुनरोत्थान अभियान', के अलावा गैर कांग्रेसी केन्द्र सरकार से कोई निधि अब तक इस शहर के विकास के लिए नही आयी है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और *मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणीस की सरकार द्वारा अमृत योजना के तहत निधि आयी तो सही, लेकिन वो पांच साल तक समाचार पत्रों में छपने वाले विज्ञापनों से आगे नहीं आयी*।फिलहाल मनपा से मंजूर होकर फाइलों में ही है।
*ऐसा प्रशासनिक ढांचा इस शहर का है।जिस पर नियंत्रण या ब्यवस्थित करने की कूबत पूर्व के किसी आयुक्त मे नही रही और ऐसे आयुक्त राज्य और केन्द्र सरकार की विश्वसनीयता की कसौटी पर भी खरे नही उतरे*।मनपा का प्रशासनिक तानाबाना क्लास टू अधिकारियों की ढिठाई तक ही नही है। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भी ऐसे हैं। जो २०-२०साल से एक ही जगह पर जमें हैं। *इसमे मनपा का सबसे बदनाम विभाग अ.बा.नि. है,जिसमे झाडूवाले, नाला साफ करनेवाले कर्मचारी २०-२०साल से डटे हैं*। इन कर्मचारियों के अवैध निर्माण माफिया से सांठगांठ का ही कमाल था कि मनपा मुख्यालय मे अवैध निर्माण बचाने के लिए३५ लाख रूपये लेते हुए अपर आयुक्त को एसीबी ने पकड़ा।पिछले तीन साल में प्रभाग अधिकारियों को एसीबी द्वारा पकड़ा जाना रूटीन जैसा हो गया। *आयुक्त गोविन्द बोडखे का कार्यकाल* ऐसी ही *कुख्यात कारगुजारियों* के लिए याद किया जायेगा।
*ऐसे प्रशासनिक तंत्र के ढांचे के साथ नये मनपा आयुक्त डॉक्टर विजय सूर्यवंशी को शहर को स्मार्ट सिटी बनाना है*।