भिवंडी :-महाराष्ट्र के भिवंडी तालुका के ग्रामीण विधायक शांताराम मोर के मतदार छेत्र में कुछ आदिवासी परिवार भुखमरी के कगार पर खड़े हैं जिन्हे दो वक्त की रोटी तक नसीब नही । वही पर कुछ ईंट भट्टी पर काम करते हुए भुखमरी से लड़कर जीने का प्रयास कर रहे हैं और तो और कुछ शहर में प्रतिदिन भीख मांगकर परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं.ऐसे ही परिवार के बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं. जिसका एक उदाहरण भिवंडी के ग्रामीण भाग से सामने आया हैं. जिससे सरकार द्वारा चलाऐ जा रहे अभियान की पोलकर रख दी हैं।
भिवंडी तालुका के दाभाड में ईंट भट्टी पर काम करने वाले आदिवासी मजदूर परिवार के तीन वर्षीय बालिका भूमिका विलास शनवार कुपोषण की शिकार हो गयी। जिसका उपचार स्वं इंदिरा गांधी उप जिला अस्पताल में चल रहा हैं. पालघर जिला के तालुका डहाणू शिसने गांव निवासी विलास शनवर पिछले एक महीने पूर्व भिवंडी तालुका के दाभाड गांव स्थित नानु कुंभार के ईंट भट्ठी के ट्रैक्टर पर मजदूरी करने के लिए पत्नी सुरेखा, पुत्री भूमिका (3) ,तनुजा (1) के साथ आया हैं.विलास शनवर ईंट भट्ठी पर ही झोपड़ा बनाकर रहता हैं.श्रमजीवी संघटना के कार्यकर्ता आशा भोईर मोर्चा निकालने संबंधी गांव में भ्रमण करने गयी थी. जिसकी मुलाकात आदिवासी महिला सुरेखा से हो गयी. आशा भोईर ने महिला व परिवार के बारे में जानकारी निकाली. तथा उसके झोपड़े का निरीक्षण किया. बीमार समझकर आशा भोईर ने भूमिका को उपचार करवाने के लिए दाभाड स्थित प्राथमिक आरोग्य केंद्र पर ले गयी.जहाँ पर उपचार के दरम्यान भूमिका का वजन मात्र 6 किलो था. वही पर कुपोषण की शिकार हैं इस बार की जानकारी मिली.प्राथमिक उपचार के बाद उसे स्वं इंदिरा गांधी उप जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया.जिसका उपचार वैद्यकीय अधीक्षक डाॅ.अनिल थोरात के मार्गदर्शन में बालरोगतज्ञ व आहारतज्ञ डाॅक्टरों द्वारा किया जा रहा हैं वही पर डाॅ अनिल थोरात ने बताया कि लगातार 14 दिन के उपचार बाद उसके स्वस्थ्य में सुधार होगा ।
महाराष्ट्र के भिवंडी तालुका के ग्रामीण विधायक शांताराम मोर के मतदार छेत्र में कुछ आदिवासी परिवार भुखमरी के कगार पर खड़े है ? जिन्हे दो वक्त की रोटी तक नसीब नही !
• भगवानदास विश्वकर्मा (सहारा सिटी न्यूज)