● पैदल जंगलों के रास्ते गांव जाते समय 4 मजदुर भटक गए थे रास्ता● मोबाइल लोकेशन के आधार पर पुलिस ने लगाया पता ●

 


● पैदल जंगलों के रास्ते गांव जाते समय 4 मजदुर भटक गए थे रास्तान ●
मोबाइल लोकेशन के आधार पर पुलिस ने लगाया पता ●



भिवंडी : महाराष्ट्र के भिवंडी मे कोरोना के कारण हुए लॉक डाउन से घबराए भिवंडी के चार मजदूर उस समय मुसीबत में फंस गए, जब वे पैदल अपने मूलगांव जा थे । उस दौरान कसारा घाटी में रास्ता भटक गए। 16 किमी जंगल में चलने के बाद भूख प्यास से व्याकुल 4 मजदूर लगभग  1600 फीट गहरी खाई में में पहुंच गए। हालांकि मुसीबत में फंसे मजदूरों ने होशियारी दिखाई और मोबाइल से अपनी गुमशुदी की जानकारी 100 नंबर पर पुलिस को देकर मदद की गुहार लगाई, जिसके बाद देवदूत बनकर कसारा पुलिस घाटी पहुंची और आठ घंटे कड़ी मशक्कत के बाद जंगल से चारों मजदूरों को  खोज निकाला। निराश हुए मजदूरों ने इसे अपना पुनर्जन्म मानकर पुलिस का आभार माना।
      गौरतलब है कि कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन से सभी उद्योग, दुकान, कंपनियां, गोदाम सहित सारे काम-धंधे फिलहाल बंद हैं, जिसके कारण बेरोजगार, असहाय, लाचार, भूख व भय से परेशान मजदूर भिवंडी से अब शहर तथा ग्रामीण परिसर से पैदल ही अपने मूल गांव उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में जाने के लिए जाने लगे हैं। इसी तरह भिवंडी स्थित गोदाम में काम करनेवाले नरेंद्र चौधरी, भूपाल निसार, राजेश कोल और फूलचंद रावत को गोदाम प्रबंधक ने तालाबंदी होने के कारण गोदाम से बाहर निकाल दिया, जिसके कारण भूख व लाचारी से बेहाल चारों मजदूर पैदल ही अपने गांव उत्तर प्रदेश जाने के लिए पुलिस के डर से जंगलों के रास्ते निकल पड़े।
     चारों मजदूरों ने मुंबई-नासिक राजमार्ग पर स्थित चिंतामनवाड़ी के पहाड़ की घाटी से गुजरने का फैसला किया क्योंकि लतीफवाड़ी और कसारा घाट पर पुलिस चौकियां हैं। जंगल के रास्ते लगभग 13 किलोमीटर पैदल चलने के बाद गुरुवार दोपहर 3 बजे ऊंट घाटी के जंगल में मजदूर रास्ता न मिलने से भटक गए और 1600 फीट गहरी घाटी में फंस गए, जिसके बाद मजदूरों ने समझदारी दिखाते हुए जान बचाने के लिए 100 नंबर डायल कर प्रशासन से मदद मांगी। इसके बाद 11 बजे ही तत्काल कसारा पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी दत्तू भोये, पीएसआई महाले, खतीब, पुलिसकर्मियों और आपदा प्रबंधन टीम और शाहपुर व्हॉट्सएप समूह के सदस्यों ने विभिन्न पहाड़ियों और क्षेत्रों की खोज करनी शुरू कर दी लेकिन मजदूरों का कोई पता नहीं लग रहा था। उस दौरान पुलिस ने मजदूरों के मोबाइल फोन को ट्रैक कर लोकेशन का पता लगाया और घाटी के घाटदेवी मंदिर के सामने एक टीले पर फंसे चारों मजदूरों को जंगल से सकुशल बाहर निकलकर उनकी जान बचाई। पुलिस के अनुसार कसारा घाट, घाटदेवी मंदिर के सामने एक पहाड़ी से घाटी में मोबाइल प्रकाश दिखाई दे रही थी, जिसके बाद आपदा प्रबंधन टीम के सदस्य रामदास राठौड़ और लक्ष्मण वाघ, सवरवाड़ी (कसारा खुर्द) से नीचे उतरे और कसारा घाट घाटदेवी मंदिर के कुछ ग्रामीण बचाव में आए। लगभग 8 घंटे कड़ी मशक्कत के बाद मजदूरों को पुलिस जांबाज कर्मियों ने 1600 फीट गहरी खाई से बाहर निकाला। उक्त कार्यवाही में आपदा प्रबंधन टीम के शाम धुमाल, दत्ता वाताडे, अक्षय राठौड़, प्रथमेश पुरोहित, रवि देहाडे, बबन जाधव, स्वप्निल कलंत्री, मयूर गुप्ता भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद था।


 


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